Most Powerful Devi Stotram : Aigiri Nandini | Mahishasura Mardini Stotram | महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र Download Video and mp3 video mp4 download

Youtube details of Cover Song Most Powerful Devi Stotram : Aigiri Nandini | Mahishasura Mardini Stotram | महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र Download Video and mp3

Most Powerful Devi Stotram : Aigiri Nandini | Mahishasura Mardini Stotram | महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते

गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते

त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते

शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।

मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥

अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते

रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।

निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते

चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।

दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥

अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे

त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।

दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥

अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते

समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।

शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥

धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके

कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।

कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥

सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते

कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।

धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥

जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते

झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।

नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥

अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते

श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।

सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥

सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते

विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।

शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥

अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते

त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।

अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥

कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते

सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।

अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥

करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते

मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।

निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥

कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे

प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे

जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥

विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते

कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।

सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥

दकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे

अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।

तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥

कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्

भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।

तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥

तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते

किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।

मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥

अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे

अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।

यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥

Artist – Uma Mohan & G. Gayathri Devi

******************************************************

Do comment and share the video with your loved ones.

Like us on Facebook

https://goo.gl/doxT7X

Follow us on twitter

https://goo.gl/CNRX7r

Follow us on Instagram

https://goo.gl/Iwe0uu

Find us on in.Pinterest

https://goo.gl/JZMdHW

Click Below for More Peaceful & Religious Music Videos

http://goo.gl/j8k2n

Youtube Channel for this cover song:

https://www.youtube.com/channel/UCaF3MVnBYNnjAKF16k3mUjw

Follow Us in Social Channels

[btn btnlink=”https://www.ssyoutube.com/watch?v=Qf_M71R7wJ8″ btnsize=”large” bgcolor=”#dd3333″ txtcolor=”#f4f4f4″ btnnewt=”1″ nofollow=”1″ btnicon=”fa fa-futbol-o”]Cover Song Download Link[/btn]

Most Powerful Devi Stotram : Aigiri Nandini | Mahishasura Mardini Stotram | महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र Download Video and mp3 Download Link

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

− 1 = 1